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Wednesday 28 October 2009

क्षणिकाएं.

 सदी के पार

आसमान छूने के हौंसले
सदी के पार जाने की  कल्पनाएँ
साथ लाते  हो
कभी छोड़ कर भी तो जाओ .


  याद में

जब थी प्यार में
रोई कि
तुम भूल गए तो ?

जब भूल गए
तो रोई
तुम्हारी याद में .

1 comment:

  1. ...इन्हें लिखना जाने कितने अनुभवों से गुजरना है.....

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